फिल्म -धर्मात्मा [1975],
मूल गायक-किशोर
संगीत-कल्याणजी -आनंद जी
गीत-इंदीवर
प्रस्तुत गीत में स्वर- - अल्पना
Song-तेरे चेहरे में वो जादू है
तेरे चेहरे में वो जादू है, बिन डोर खींचा जाता हूँ
जाना होता है और कहीं, तेरी ओर चला आता हूँ
तेरे चेहरे में वो जादू है
तेरी हीरे जैसी आँखें, आँखों में है लाखों बातें
बातों में रस की बरसातें, मुझमें प्यार की प्यास जगाएँ
तू जो एक नज़र डाले, जी उठे मरने वाले
होत तेरे अमृत के प्याले, मुझमें जीने की आस बढ़ायें
चल पड़ते हैं तेरे साथ कदम, मैं रोक नहीं पाता हूँ
तेरे चेहरे में वो जादू है...
जब से तुझको देखा है, देख के खुदा को माना है
मान के दिल ये कहता है, मेरी खुशियों का तू है ख़ज़ाना
दे दे प्यार की मंज़ूरी, कर दे कमी मेरी पूरी
तुझसे थोडिसी दूरी, मुझे करती है दीवाना
पाना तुझको मुश्किल ही सही, पाने को मचल जाता हूँ
तेरे चेहरे में वो जादू है...
Vocals-Alpana
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यह गीत मुझे बहुत ही पसंद है।
किशोर कुमार के सब से मधुर गीतों में से एक है यह।
इस गीत के संगीत में अफगानी वाद्य यंत्र ' रबाब 'का प्रयोग बड़ी खूबी से किया गया है।
2 comments:
बहुत सुन्दर गीत!
फिरोज खान निर्देशित धर्मात्मा के शानदार गीत को स्वर दिया किशोर जी ने और आपने उसे बड़ी सुन्दरता से गया है . आरोह अवरोह का पूरा ध्यान दिया गया है .
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