फिल्म- ज़िन्दगी और ख़्वाब [१९६१]
संगीतकार -दत्ताराम
गीतकार- प्रदीप
मूल गायक -सुमन कल्यानपुर और मन्ना डे
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प्रस्तुत गीत में स्वर - अल्पना और सफ़ीर
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Lyrics-
न जाने कहाँ तुम थे, न जाने कहाँ हम थे
जादू ये देखो हम तुम मिले हैं न जाने कहाँ हम थे,
न जाने कहाँ तुम थे अब तो मिलन के सपने खिले हैं...
१. कितने दिनोंपर मिली हैं निगाहें
अब तुम न जाना छुड़ाकर ये बाहें
तुम्हारा ये साथ प्यारा हम क्यों न चाहें ...
२.किसे था पता यूँ हम तुम मिलेंगे
उजड़े हुए दिल फिर से बसेंगे
मोहब्बत के बंधन में हम तुम बधेंगे...
न जाने कहाँ तुम थे ....न जाने कहाँ हम थे...
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2 comments:
आपने और सफ़ीर जी ने गजब का गाया है इस गीत को, बहुत शुभकामनाएं आप दोनों को.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
One of my favt from Manna Dey .. Thanks for this collab
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