Feb 27, 2016

आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया

गीत -आप आये तो ख्याले...
फिल्म  : गुमराह (१९६३)
गीतकार : साहिर लुधियानवी,
संगीत -रवि
मूल गायक : महेंद्र कपूर
कवर गीत प्रस्तुति : अल्पना वर्मा


गीत के बोल 

आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया

आपके लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख नज़रों  से मोहब्बत का सलाम आया था
उम्रभर साथ निभाने का पयाम आया था
आपको देख के वो एहद-ए-वफ़ा याद आया

रूह में जल उठे बुझती हुयी यादों के दिये
कैसे दीवाने थे आपको पाने के लिये
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किये
पर जो मांगे से न पाया वो सिला याद आया

आज वो बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में ये हल्की से मुलाकात तो है
गैर का हो के भी ये हुस्न मेरे साथ तो है
हाय किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया

आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया
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दिल को छू लेने वाली इस यादगार  ग़ज़ल को यहाँ पेश करते  हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है ,
आशा है आपको भी पसंद आएगी. Mp3 file Preview or Play

Feb 12, 2016

आपके प्यार में हम सँवरने लगे..कवर गीत




फिल्म-राज़
मूल गायिका -अलका याग्निक
कवर प्रस्तुति -अल्पना
गीत 

आपके प्यार में हम सँवरने लगे
देखके आपको हम निखारने लगे
इस कदर आपसे हमको मोहब्बत हुई
इस कदर आपसे हमको मोहब्बत हुई

टूटके बाजुओं में बिखरने लगे
आपके प्यार में हम संवरने लगे

आप जो इस तरह से तड़पायेंगे
ऐसे आलम में पागल हो जायेंगे
आप जो इस तरह से तड़पायेंगे
ऐसे आलम में पागल हो जायेंगे
वो मिल गया जिसकी हमें कबसे तलाश थी
बैचैनी इस सांसों में जन्मों की प्यास थी
जिस्मों से रूह में हम उतरने लगे
जिस्मों से रूह में हम उतरने लगे

इस कदर आपसे हमको मोहब्बत हुई
इस कदर आपसे हमको मोहब्बत हुई
टूटके बाजुओं में बिखरने लगे
आपके प्यार में हम सँवरने लगे

रूप की आंच से तन पिघल जायेगा
आग लग जायेगी मन मचल जायेगा
रूप की आंच से तन पिघल जायेगा
आग लग जायेगी मन मचल जायेगा

ये लब जरा टकराए जो दिलबर के होंठ से
चिंगारियाँ  उड़ने लगी शबनम की  चोट से
हम सनम हद से आगे गुजरने लगे
हम सनम हद से आगे गुजरने लगे

इस कदर आपसे हमको मोहब्बत हुई
आपके प्यार में हम सँवरने लगे
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Feb 8, 2016

ये दिल और उनकी...Cover


फिल्म-प्रेम पर्वत
संगीत -जयदेव
गीतकार-जांनिसार अख्तर
मूल गायिका -लता मंगेशकर

गीत के बोल-
ये दिल और उनकी, निगाहों के साये -
मुझे घेर लेते, हैं बाहों के साये -

पहाड़ों को चंचल, किरन चूमती है -
हवा हर नदी का बदन चूमती है
यहाँ से वहाँ तक, हैं चाहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये ...

लिपटते ये पेड़ों से, बादल घनेरे -
ये पल पल उजाले, ये पल पल अंधेरे
बहुत ठंडे -ठंडे, हैं राहों के साये -
ये दिल और उनकी निगाहों के साये ...

धड़कते हैं दिल कितनी, आज़ादियों से -
बहुत मिलते जुलते, हैं इन वादियों से
मुहब्बत की रंगीं पनाहों के साये -

ये दिल और उनकी निगाहों के साये ...
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