Nov 27, 2012
Nov 11, 2012
दिए जलाएँ प्यार के..
'दिए जलाएँ प्यार के चलो इसी खुशी में ,
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िंदगी में '
दीपावली की शुभकामनाओं के साथ एक गीत ..फिल्म धरती कहे पुकार के..
मूल गायिका -लता जी.
संगीत-लक्ष्मी कान्त प्यारेलाल.
गीत-मजरूह सुल्तानपुरी
Presenting cover song
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Nov 6, 2012
आज कोई नहीं अपना....
आज कोई नहीं अपना ..
फिल्म -अग्नि परीक्षा
१९८० के दशक की फिल्म का गीत जिसकी मूल गायिका लता जी हैं और संगीतकार सलील चौधरी .
अभिनेत्री रामेश्वरी पर फिल्माया गया ...बेहद खूबसूरत संगीत!
गीतकार-योगेश
गीत के बोल--:
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
तड़प-तड़प कर, यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
सुलग-सुलग कर दिन पिघले, दिन पिघले
आँसुओं में डूबी हुई रात ढले
हर पल बिखरी तनहाइयों में
यादों की शमा मेरे दिल में जले
तुम ही बतला दो हमें
हम क्या जतन करें, ये शमा कैसे बुझाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
न हमसफ़र कोई न कारवां, न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
जब से छूटा साथ हमारा
बन गई साँसें बोझ यहाँ
बिछड़ गए जो तुम
किस लिये माँगें हम, फिर जीने की दुआएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
तड़प-तड़प कर, यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
मुश्किल गाना है..एक कोशिश की है.
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Rameshwari |
फिल्म -अग्नि परीक्षा
१९८० के दशक की फिल्म का गीत जिसकी मूल गायिका लता जी हैं और संगीतकार सलील चौधरी .
अभिनेत्री रामेश्वरी पर फिल्माया गया ...बेहद खूबसूरत संगीत!
गीतकार-योगेश
गीत के बोल--:
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
तड़प-तड़प कर, यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
सुलग-सुलग कर दिन पिघले, दिन पिघले
आँसुओं में डूबी हुई रात ढले
हर पल बिखरी तनहाइयों में
यादों की शमा मेरे दिल में जले
तुम ही बतला दो हमें
हम क्या जतन करें, ये शमा कैसे बुझाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
न हमसफ़र कोई न कारवां, न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
जब से छूटा साथ हमारा
बन गई साँसें बोझ यहाँ
बिछड़ गए जो तुम
किस लिये माँगें हम, फिर जीने की दुआएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
तड़प-तड़प कर, यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएँ
आज कोई नहीं अपना, किसे ग़म ये सुनाएँ
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मुश्किल गाना है..एक कोशिश की है.
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Nov 5, 2012
रोज़ अकेली आये...
Picture from Google images. |
१९७१ में बनी फिल्म 'मेरे अपने' का यह गीत शायद बहुत कम लोगों ने सुना होगा क्योंकि यह फिल्म से काट दिया गया था .शायद फिल्म में मीना कुमारी पर फिल्माया गया होगा.
गीत के बोल बहुत ही खूबसूरत और अर्थपूर्ण हैं...
गीत अनूठा है क्योंकि 'बिरहन रात ' की ऐसी खूबसूरत कल्पना सिर्फ गुलज़ार ही कर सकते हैं!
गीत की मूल गायिका लता जी हैं यहाँ प्रस्तुति में मैं ने अपना प्रयास किया है.
संगीतकार सलील चौधरी हैं .
रोज अकेली आये रोज अकेली जाए, चाँद कटोरा लिए भिखारिन रात
मोतियों जैसे तारे ,आँचल में हैं सारे ...
हाय रे फिर क्या मांगे भिखारन रात...
जोगन जैसी लागे ना सोये न जागे ...
गली-गली में जाए भिखारन रात
रोज़ लगाये फेरा है कोई नन्हा सवेरा ..
गोद में भर दो आई भिखारन रात
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