Oct 30, 2010

'गीता दत्त--एक सितारा जो आज भी जगमगा रहा है'[और जाने क्या तूने कही ]

पा‌र्श्वगायिका'गीता दत्त 'भारतीय चित्रपट संगीत के आकाश का वह चमकता सितारा जिसकी रोशनी कभी धूमिल नहीं होगी.उनकी रेशमी आवाज के जादू से कौन नावाकिफ़ है?ये सितारा आज भी हमारे बीच अपने गीतों के रूप में जगमगा रहा है और सदियों ऐसे ही चमकता रहेगा .
गीत्तदत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को फरीदपुर( बाँग्ला देश ) में हुआ था गीता दत्त का पूरा नाम गीता घोष राय चोधरी था .1942 में उन के परिवार वाले मुंबई आ गये थे.
सब से पहले उन्होंने दो भाई फिल्म में सोलो गाना सचिन देव बर्मन जी के निर्देशन में गाया उस से पहले १९४६ में फिल्म 'भक्त प्रह्लाद में समूह गान में उन्होंने गाया था.आखिर सोलो गीत उन्होंने फिल्म 'अनुभव' के लिए गाये थे.रफ़ी के साथ उनका एक गीत किसी फिल्म के लिए शायद १९८३ में रिलीज़ हुआ था.
अभिनय क्षेत्र में भी उन्होंने क़दम रखा था,गुरुदत्त की फिल्म गौरी में कुछ हिस्सा था लेकिन उस फिल्म को गुरुदत्त ने स्क्रेप कर दिया था .एक मात्र बांग्ला फिल्म बधुबरण में उन्होंने काम किया.जो ख़ास चली नहीं.
गीता जी का संगीत करियर १९४६ से १९७२ तक रहा .उन्होंने लगभग १५०० गीत गए.१९४७ से १९५९ तक का समय उनका सब से अच्छा और सक्रीय समय रहा.उनके गए फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी गीतों में हर तरह के गीत मिलेंगे चाहे वह भक्ति गीत हो या क्लब डांस गीत,बच्चों के लिए लोरी हो या ग़ज़ल उन्होंने गायकी के हर रंग में गीत गा कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.सचिन देव बर्मन ,ओ.पी.नय्यर और हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में उन्होंने बेहतरीन नगमे हमें दिए.उनकी गायन विविधता और कुशलता इसी बात से मालूम होतीहै कि उन्होंने हिंदी और बांग्ला के अलावा अन्य भाषाओँ में भी लगभग १०० संगीत निर्देशकों के लिए गाया है.
फिल्म बाज़ी के दौरान उनकी मुलाकात अभिनेता और निर्देशक गुरुदत्त जी से हुई और उनसे 26 मई 1953 को विवाह हुआ.उनके दो पुत्र[तरुण और अरुण] और एक पुत्री[नीना] हैं.

गुरुदत्त के मृत्यु १९६४ में होने के बाद गीता जी टूट गयी और फिल्मों से सम्बन्ध लगभग टूट गया.उनके बेटे तरुण दत्त ने सिने ब्लिट्ज पत्रिका में लिखा था कि पिता ने आत्महत्या नहीं की थी. उनकी दादी गीता जी को पसंद नहीं करती थीं और चाहती थीं कि गुरुदत्त वहीदा से विवाह करें.गुरु दत्त कभी दूसरा विवाह नहीं चाहते थे.उनके अनुसार उनके पास उनके पिता जी के उनकी माँ को लिखे letters मौजूद हैं ,जिनसे नहीं लगता कि उनके संबंधों में कोई दरार थी.शायद गुरुदत्त की असामयिक मृत्यु के दर्द को गीता जी सहन नहीं कर सकीं और उसी दुःख में जलते उन्हें नर्वस ब्रेकडाउन हो गया और में २० जुलाई १९७२ के दिन मात्र ४१ वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गयीं.उनके गाये गीत आज भी सुने और गाये जाते हैं।
मैं उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें अपनी तरफ से स्वरांजलि प्रस्तुत कर रही हूँ ,गीता जी के खुद के पसंदीदा टॉप १० गीतों में से दो गीत ,आशा है उनके प्रशंसकों को निराशा नहीं होगी.

यूँ तो गीता जी के कई गीत सुने और गाये हैं लेकिन फिल्म बाज़ी से 'तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले'गीत के बारे में मैं अनजान थी ,श्री प्रकाश गोविन्द जी ने जब मुझे इस गीत को गाने का सुझाव दिया तो यह एक चुनौती की तरह लगा.लेकिन आज मेरे गाये सब से अच्छे गीतों में से एक है.आप भी सुनिये -:


गीता जी की पसंद की लिस्ट से यह दूसरा गीत भी बहुत ही खूबसूरत है ,आप भी सुनिये मेरे स्वर में 'जाने क्या तूने कही '-फिल्म -प्यासा से-


Click here to Download Or Play mp3
संगीत की दुनिया की अमर गायिका हम सब की प्रिय गीता जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि .
[जानकारी & चित्र अंतर्जाल के विभिन्न स्त्रोतों से साभार ]