Dec 28, 2014

अगर मुझसे मोहब्बत है -स्वर -अल्पना

फिल्म-आप की परछाइयाँ
 मूल गायिका--लता जी
 संगीतकार-मदन मोहन ,
गीतकार- रजा मेहदी अली खान

 फिल्मांकन सुप्रिया चौधरी और धर्मेन्द्र पर किया गया .
 गीत का कवर संस्करण --अल्पना वर्मा

 गीत के बोल-

अगर मुझसे मोहब्बत है,
मुझे सब अपने ग़म दे दो
इन आँखों का हर एक आँसू,
मुझे मेरी कसम दे दो

 १-तुम्हारे ग़म को अपना ग़म बना लूँ , तो करार आए
तुम्हारा दर्द सीने में छूपा लूँ. तो करार आए

वो हर शय जो, तुम्हे दुःख दे, मुझे मेरे सनम दे दो

 २-शरीक-ए-जिन्दगी को क्यों, शरीक-ए-गम नहीं करते
 दुखों को बाटकर क्यों, इन दुखों को कम नहीं करते

 तड़प इस दिल की थोड़ी सी, मुझे मेरे सनम दे दो

3- इन आँखों में ना अब मुझको कभी आँसू नजर आए
सदा हँसती रहे आँखे, सदा ये होंठ मुसकाये

मुझे अपनी सभी आहे, सभी दर्द-ओ-आलम दे दो

 अगर मुझसे मोहब्बत है, मुझे सब अपने ग़म दे दो
इन आँखों का हर एक आँसू, मुझे मेरी कसम दे दो

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Dec 5, 2014

हम हैं मता ए कूचा [ग़ज़ल]


ग़ज़ल फिल्म दस्तक से है जिसे लिखा मजरूह सुलतानपुरी ने और धुन मदन मोहन जी की बनाई हुई  है.फिल्म के लिए इस ग़ज़ल के दो ही शेर लिए गए हैं.यहाँ मैंने पूरी ग़ज़ल दी है..
फिल्म के लिए लता जी ने गाया है जिसे रहना सुल्तान पर फिल्माया गया था .
ग़ज़ल
हम हैं मता ए कूचा ओ बाज़ार की तरह ,
उठती है हर निगाह खरीददार की तरह

वो तो कहीं है और मगर दिल के आस पास
फिरती है कोई शै निगाहें ए यार की तरह

इस कू-ए-तिश्नगी में बहुत है के एक जाम
हाथ आ गया है दौलत-ए-बेदार की तरह

सीधी है राह-ए-शौक़ प यूँ ही कभी कभी
ख़म हो गयी  है गेसू-ए-दिलदार की तरह

मजरूह लिख रहे हैं वो अहले वफा का नाम ....
हम भी खड़े हुए हैं गुनाहगार की तरह ...
हम हैं मता ए कूचा ओ ...

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यहाँ जो प्रस्तुति है उसे मैंने अपना स्वर दिया है ,प्रयास किया है कि पूरी तरह से निभा सकूँ.
कवर संस्करण -


Vocals--Alpana Verma  [dec,2012]
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