Apr 18, 2018

दिल लगाकर हम ये समझे : फिल्म -ज़िन्दगी और मौत (१९६५)

Movie: Zindagi Aur Maut (1965)
Music Director: Chitalkar Ramchandra ;
Original Singer: Asha Bhosle
lyricist: Shakeel Badayuni.

Cover sung by Alpana Verma
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दिल लगाकर हम ये समझे ज़िन्दगी क्या चीज़ है-2
इश्क कहते हैं किसे और .आशिकी क्या चीज़ है....
दिल लगाकर हम ये समझे ..

1. बाद मुद्दत के मिले तो, इस तरह देखा इधर
 जिस तरह एक अजनबी पर अजनबी डाले नज़र
आपने ये भी न सोचा दोस्ती क्या चीज़ है~~~
दिल लगाकर हम ये समझे...

 २.पहले-पहले आप ही अपना बना. बैठे हमें
पहले-पहले आप ही अपना बना बैठे हमें
 फिर न जाने ,किसलिए दिल से भुला बैठे ~~
हमें अब हुआ मालूम हमको बेरुख़ी क्या चीज़ है~~

3.प्यार सच्चा है मेरा तो देख लेना,
ऐ सनम आप आकर तोड़ देंगे ख़ुद मेरी ज़ंजीर-ए-ग़म
 बन्दा paravar जान लेंगे बन्दगी क्या चीज़ है
 दिल लगाकर हम ये समझे ज़िन्दगी क्या चीज़ है
इश्क कहते हैं किसे और .आशिकी क्या चीज़ है....
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Audio :
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Apr 16, 2018

हमसफर मेरे हमसफर, पंख तुम परवाज़ हम(पूर्णिमा)


फिल्म : पूर्णिमा (1965)
गीत : गुलज़ार
 संगीत : ??? शंकर -जयकिशन /सलील चौधरी ?/लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल?
(*अंतर्जाल पर इस गीत के संगीतकार का नाम अलग -अलग  लिखा हुआ है)
मूल गायक - लता मंगेशकर और मुकेश

गीत के बोल :

हमसफर मेरे हमसफर,
पंख तुम परवाज़ हम
ज़िंदगी का साज़ हो तुम, साज़ की आवाज़ हम
हमसफ़र मेरे हमसफ़र, पंख तुम परवाज़ हम
ज़िंदगी का गीत हो तुम, गीत का अंदाज़ हम

 १.आँख ने शर्मा के कह दी, दिल के शरमाने की बात
 एक दीवाने ने सुन ली दूजे दीवाने की बात
 प्यार की तुम इन्तेहा हो, प्यार की आगाज़ हम

२.ज़िक्र हो अब आसमान का या ज़मीन की बात हो
 ख़त्म होती है तुम्ही पर अब कहीं की बात हो
हो हसीन तुम, महजबीं तुम, नाज़नीं तुम, नाज़ हम

हमसफ़र मेरे हमसफ़र, पंख तुम परवाज़ हम
ज़िंदगी का गीत हो तुम, गीत का अंदाज़ हम
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प्रस्तुत गीत के गायक  : सफीर और अल्पना
Audio :

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Video :
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Apr 13, 2018

ज़रा सामने तो आओ छलिये.....(जनम-जनम के फेरे)Zara samne to aao

Movie: Janam Janam Ke Phere[1957 ]
Music Director: S.N. Tripathi ,    Lyrics by Bharat Vyas
Director: Manoo Desai
Original Singers: Mohd Rafi sb & Lata ji.



       Vocals : Safeer  and Alpana

यह गीत सन १९५७ में बिनाका गीतमाला में पहले पायदान पर रहा था.
प्रस्तुत है यह आध्यात्मिक भाव लिए  गीत जिसमें परमात्मा को 'छलिये' कहकर पुकारा जा रहा है, परमात्मा का अंश ही तो है यह मानव ,उससे अलग होने के बाद वह फिर से  मिलन की आस लिए सांसारिक  बियाबान में भटकता रहता है .
ऐसी उतार-चढ़ाव की स्थिति न जाने कितनी बार मनुष्य के जीवन में आती है जब उसे ईश्वर एक 'छलिया' प्रतीत होने लगता है.

गीतकार ने इस  गीत में उस परमपिता के प्रति विश्वास भी जताया है कि  विषम परिस्थितयों में मनुष्य को डरने की  आवश्यकता नहीं  है क्योंकि ईश्वर से उसका सम्बन्ध वही है जो एक पिता का अपने पुत्र से होता है.हम जब अपने इष्ट से प्रीत की लौ लगाते  हैं तो उसकी आँच इष्ट के मन  तक भी पहुँचती है ,वह अनभिज्ञ  नहीं रहताI
Lyrics: Zara Samne to aao Chahliye:

ज़रा सामने तो आओ छलिये
छुप -छुप छलने में क्या राज़ है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है

ज़रा सामने तो आओ छलिये..

1.हम तुम्हें चाहे तुम नहीं चाहो,ऐसा कभी नहीं हो सकता
पिता अपने बालक से बिछुड़ के ,सुख से कभी न सो सकता
हमें डरने की जग में क्या बात है,जब हाथ में तिहारे मेरी लाज है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
ज़रा सामने  तो आओ छलिये~~

2.प्रेम की है ये आग सजन जो,इधर उठे और उधर लगे -2
प्यार का है ये तार पिया ,जो इधर सजे और उधर बजे
तेरी प्रीत पे बड़ा हमें नाज़ है,मेरे सर का तू ही रे   सरताज है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,मेरी आत्मा की ये आवाज़ है

ज़रा सामने तो आओ छलिये
छुप - छुप छलने में क्या राज़ है ,यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है ,ज़रा सामने तो आओ छलिये...

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Apr 8, 2018

रोज़ शाम आती थी ..Roz Sham aati thi...

फ़िल्म: इम्तिहान (1974)
संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
 गीतकार: मजरूह सुल्तानपुरी
Original गायिका: लता मंगेशकर

Cover Sung by Alpana Verma

Mp3 Download Here 
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी न थी
रोज़- रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी न थी
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी...
1.डाली में ये किसका हाथ, कर इशारे बुलाए मुझे झूमती चंचल हवा, छू के तन गुदगुदाए मुझे
हौले-हौले, धीरे-धीरे कोई गीत मुझको सुनाए
प्रीत मन में जगाए, खुली आँख सपने दिखाए
ये आज मेरी ज़िन्दगी...

2.अरमानों का रंग है, जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
हँस-हँस के है देखती,जो भी मूरत बनाती हूँ मैं
जैसे कोई मोहे छेड़े, जिस ओर भी जाती हूँ मैं डगमगाती हूँ मैं, दीवानी हुई जाती हूँ मैं...

ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी...
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