फिल्म-चित्रलेखा
गीतकार -साहिर
संगीतकार -रोशन
मूल गायक : लता मंगेशकर
प्रस्तुत गीत में स्वर -अल्पना वर्मा
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संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना न सके, उस लोक में भी पछताओगे .
ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या, रीतों पे धरम की मुहरें हैं
हर युग में बदलते धर्मों को कैसे आदर्श बनाओगे
ये भोग भी एक तपस्या है, तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचयिता का होगा, रचना को अगर ठुकराओगे
हम कहते हैं ये जग अपना है, तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जन्म बिता कर जायेंगे, तुम जन्म गंवा कर जाओगे
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1 comment:
बहुत ही सुंदर गाया आपने इस सार्थक गीत को, कभी बचपन में देखी थी यह फ़िल्म जो आंखों के सामने तैर गयी, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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