Jul 7, 2017

पर्बतों के पेड़ों पर ...फिल्म-शगुन Parbaton ke pedon par -Shagun

पर्बतों के पेड़ों पर ....
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फिल्म-शगुन
संगीतकार-खय्याम
गीतकार-साहिर लुधयानवी
मूल गायक -सुमन कल्यानपुर और मो.रफ़ी
प्रस्तुत गीत में स्वर- सफीर अहमद और अल्पना वर्मा
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परबतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
सूरमई उजाला है, चम्पई  अंधेरा है
सूरमई उजाला है

१.दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आसमान ने खुश होकर रंग सा बिखेरा है
आसमान ने खुश होकर........

२.ठहरे-ठहरे पानी में गीत सर-सराते हैं
ठहरे-ठहरे पानी में गीत सर-सराते हैं
भीगे-भीगे झोंकों में खुश्बुओं का डेरा है
भीगे-भीगे झोंकों में खुश्बुओं का डेरा है
परबतों के पेड़ों पर................

३.क्यूँ ना जज़्ब हो जाएँ इस हसीन नज़ारे में
क्यूँ ना जज़्ब हो जाएँ इस हसीन नज़ारे में
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है
परबतों के पेड़ों पर....................

4.अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों हो
अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों हो
जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है
जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है
परबतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
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3 comments:

pritima vats said...

very nice mam

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही पसंदीदा और कालजयी गीत है ये. सफ़ीर अहमद साहब की और आपकी आवज में सुनना बहुत ही शानदार अनुभव रहा. गीत का मखमली एहसास कायम रखा आप दोनों ने, बहुत ही आभार आप दोनों का.

रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Unknown said...

A soothing and nostalgic song