लग जा गले के फिर ये हसीन रात हो न हो...
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो....
इस गीत को परिचय की कोई आवश्यकता नहीं है. जिन्होंने इस गीत को संगीत दिया था उनकी बरसी पर मैं यह श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ
प्रस्तुत गीत --स्वर--अल्पना
Presenting Cover version BY Alpana
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2 comments:
गुनगुनाती सुबह का आनंद मिल गया आपकी आवाज़ और सुन्दर शब्दों का संयोजन अहा ......शुभप्रभात
वो कौन थी के इस खूबसूरत गीत द्वारा आपने स्व. मदनमोहन जी को सच्चे श्रद्धासुमन अर्पित किये हैं. बहुत सुंदर गाया आपने.
रामराम.
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