फिल्म-आर पार
संगीतकार-ओ.पी.नय्यर
गीतकार-मजरूह सुल्तानपुरी
गीत-मूल गायिका-गीता दत्त
बाबूजी धीरे चलना
प्यार में ज़रा सम्भलना
हाँ बड़े धोखे हैं
बड़े धोखे हैं इस राह में, बाबूजी ...
क्यूँ हो खोये हुये सर झुकाये
जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये
ये तो बाबूजी पहला कदम है
नज़र आते हैं अपने पराये
हाँ बड़े धोखे हैं ...
ये मुहब्बत है ओ भोलेभाले
कर न दिल को ग़मों के हवाले
काम उलफ़त का नाज़ुक बहुत है
आके होंठों से टूटेंगे प्याले
हाँ ,,बड़े धोखे हैं ...
हो गयी है किसी से जो अनबन
थाम ले दूसरा कोई दामन
ज़िंदगानी की राहें अजब हैं
हो अकेला है तो लाखों हैं दुश्मन
हाँ बड़े धोखे हैं ...
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स्वर--अल्पना
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6 comments:
खुबसूरत गीत की मधुर प्रस्तुति...
आनंद आ गया...
सादर....
गीता दत्त का एक और खूबसूरत गीत, बहुत बेहतर और खूबसूरती से गाया है आपने, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
baandh liya
बड़े धोखे हैं, इस राह में।
Geeta Duut ji is one singer whom I can listen to till infinity……
your singing style is a lot common to her including vocal quality….
excellent singing as always….
please keep rocking….to favs….
regards
Dr.Sridhar Saxena
ओपी नैयर की धुन, मजरूह साहब के बोल और गीता दत्त की नशीली आवाज के कारण ही बाबूजी धीरे चलना... नए संगीत और गीतों की चकाचौंध में अपना वजूद कायम रखने में सफल है. आपने इस गीत को अपने दिलकश अंदाज़ से और भी खूबसूरत बना दिया है. हार्दिक आभार.
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