रहते थे कभी जिनके दिल में
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फिल्म-ममता
संगीत -रोशन
गीतकार-मजरूह सुल्तानपुरी
अभिनत्री -सुचित्रा सेन
रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह
दावा था जिन्हें हमदर्दी का
खुद आके न पूछा हाल कभी
महफ़िल में बुलाया है हम पे
हँसने को सितमगारों की तरह
बरसों से सुलगते तन मन पर
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
बरसे भी तो अंगारों की तरह
सौ रुप धरे जीने के लिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
गिरती हुई दीवारों की तरह
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यह ग़ज़ल जो मुझे बहुत पसंद है.
यह उन कुछ गीतों में से एक है जो मुझ से स्कूल के दिनों में मेरी सहेलियां अक्सर सुनती थीं.
..बिना संगीत ..सिर्फ स्वर...
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5 comments:
आपकी आवाज ने गीत को और सुंदर बना दिया है।
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जादुई चिकित्सा !
इश्क के जितने थे कीड़े बिलबिला कर आ गये...।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन पर आपके विज्ञान समाचारों की अगली कडी की प्रतीक्षा है...
गीतों का चयन बरबस यहाँ खीच लाता है।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल
गाया भी बहुत सुन्दर है
शुभ कामनाएं
आनंद आ गया इस गज़ल को आपकी आवाज़ में सुनकर. आपने इसे बड़ी सादगी से गाया है. ममता के सारे के सारे गीत लाजवाब हैं. ममता में रोशन अपने उत्कर्ष पर थे. रहते थे कभी.. के अलावा चाहे तो मोरा जिया.., विकल मोरा मनवा.., छुपा लो दिल में.., हम गवनवा न जइबे.., इन बहारों में अकेले.., रहें न रहें हम.. सब एक से बढ़ कर एक. सारे गीत ममता को हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ साउंड ट्रेकों में शामिल करते हैं. रहें न रहें हम.. मेरे पसंदीदा गीतों में से एक है. इसे आपकी आवाज़ में सुनना सुखद रहेगा.
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