Film --Asli Naqli [१९६२]
Music: शंकर-जयकिशन
Lyrics: हसरत जयपुरी
Original Singer : Lata
Starring: Sadhana, Dev Anand
तेरा मेरा प्यार अमर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवन साथी बता, दिल क्यों धड़के रह-रह कर
१-क्या कहा है चाँद ने, जिसको सुनके चाँदनी
हर लहर पे झूमके, क्यों ये नाचने लगी
चाहत का है हरसू असर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
२-कह रहा है मेरा दिल, अब ये रात न ढले
खुशियों का ये सिलसिला, ऐसे ही चला रहे
तुझको देखूँ देखूँ जिधर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
३-है शबाब पर उमंग, हर खुशी जवान है
मेरी दोनों बाहों में, जैसे आस्मान है
चलती हूँ मैं तारों पर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
.............................................
Song suggested by Mr.Ashutosh Singh
Download or Play mp3
Music: शंकर-जयकिशन
Lyrics: हसरत जयपुरी
Original Singer : Lata
Starring: Sadhana, Dev Anand
तेरा मेरा प्यार अमर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवन साथी बता, दिल क्यों धड़के रह-रह कर
१-क्या कहा है चाँद ने, जिसको सुनके चाँदनी
हर लहर पे झूमके, क्यों ये नाचने लगी
चाहत का है हरसू असर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
२-कह रहा है मेरा दिल, अब ये रात न ढले
खुशियों का ये सिलसिला, ऐसे ही चला रहे
तुझको देखूँ देखूँ जिधर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
३-है शबाब पर उमंग, हर खुशी जवान है
मेरी दोनों बाहों में, जैसे आस्मान है
चलती हूँ मैं तारों पर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
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Song suggested by Mr.Ashutosh Singh
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5 comments:
बहुत ही बेहतरीन गीत को आपने बहुत ही खूबसूरती से गाया है...
बेहद कर्णप्रिय गीत....
एक गीत की फरमाईश है :- "इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास" । जिसे आपकी आवाज में सुनना अच्छा लगेगा ।
@Adarniy Pandit Sharma ji,
आप की टिप्पणी मिली.
और बहुत अच्छा लगा कि आप ने bhakti गीत सुझाया hai.
यह गीत September mein record kiya tha aur ab-इस ब्लॉग पर भी लगाया हुआ है.
यह नया ब्लॉग है जिस में अब तक के गाये गीत जो इधर उधर थे.उन सब को एक जगह रख रही हूँ.
'इतनी शक्ति हमें देना दाता'और ' तोरा मन दर्पण कहलाये' ये दोनों भक्ति गीत mai ne अपने इसी ब्लॉग पर भी लगाये हैं.
अवश्य देखीयेगा और अपनी राय भी दिजीयेगा-
१-इतनी शक्ति हमें देना--:
http://merekuchhgeet.blogspot.com/2009/10/blog-post_9783.html
२-तोरा मन दर्पण-:
http://merekuchhgeet.blogspot.com/2009/11/blog-post_2968.html
Abhaar,
Dear Alpana,bahut achhha gaya hai, actully aapki awaaz ka structure hi itna sweet, innocent type ka hai, ki sur or feeling ke khayal.....par na dhyan dete huye banda sunta hi chala jata hai.
-Jeevan
1962 Ranchi St xavirs mein ke jaadoo bhare din ... un swarnim dino ka prateek yeh geet... ek aur geet yaad aata hai... Haa e re woh din kyon na aaei...
Shukriya
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