Nov 24, 2009

28-चिठ्ठी ना कोई संदेस़



गीतकार :आनंद बक्षी
संगीतकार :उत्तम सिंह
चित्रपट :दुश्मन - 1998
Original Singer-Lata
Presenting cover version -vocals-Alpana प्रस्तुत गीत में स्वर -अल्पना


चिठ्ठी ना कोई संदेस़ जाने वो कौन सा देस
जहां तुम चले गए
इस दिल pe लगा के ठेस़ ,जाने वो कौन सा देस
जहां तुम चले गए

एक आह भरी होगी़ हम ने ना सुनी होगी
जाते जाते  तुम ने आवाज तो दी होगी
हर वक्त यही हैं गम़ उस वक्त कहा थे हम़ कहा तम चले गए

हर चीज पे  अश्कों से लिखा  हैं तुम्हारा नाम
ये रस्तो घर गलीयॉं तुम्हें कर ना सके सलाम
हाए दिल में रह गयी बात जल्दी से छुडाकर हाथ़ कहा तुम चले गए

अब यादों के कांटे़ इस दिल में चुभते  हैं
ना दर्द ठहरता है़ ना आंसू रुकते  हैं
तुम्हें ढूंढ रहा हैं पयाऱ हम कैसे करे इकरार के ,हा तुम चले गए
चिठ्ठी ना कोई संदेस़ जाने वो कौन सा देस
जहां तुम चले गए
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[This Song is my Tribute to all 26/11 heroes who laid their lives to save innocent civilians in Mumbai and to all those innocent people who died in this attack.]
all salute to these brave soldiers.We are proud of our defense services.
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9 comments:

Udan Tashtari said...

श्रृद्धांजलि २६/११ हादसे में मृत हुए लोगों को. सुन्दर गीत.

Arvind Mishra said...

हैट्स आफ .... आपके जज्बे को भी अल्पना जी !

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर और मार्मिक कर्णप्रिय गीत. उन बेकसूरों की याद मे. नमन उनको.

रामराम.

खुशदीप सहगल said...

अल्पना जी,
इस गीत को मैंने नोएडा में आरूषि तलवार की हत्या और निठारी में तीस के करीब बच्चियों को नर-पिशाचों द्वारा मौत के घाट उतारने के बाद जब उन मासूमों के फोटो देखे थे तो बहुत याद किया था...आज फिर वही फोटो आंखों के आगे घूमने लगे...

जय हिंद...

Anand said...

Very Impressive N Clear Voice...Great feelings....Very Good Attempt 10+++++++

Nirmla Kapila said...

बहुत सुन्दर गीत और आपका जज़्वा शुभकामनायें

समयचक्र -महेन्द्र मिश्र- said...

बहुत सुन्दर गीत...

Kailash C Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी गीत...उनकी यादों को विनम्र नमन...आपके ज़ज्बे को सलाम !

सतीश सक्सेना said...

बेहद सुंदर गीत ....