फिल्म: दो कलियाँ [१९६८]
गीतकार :साहिर लुधयानवी
संगीतकार :रवि
मूल गायक -लता मंगेशकर और मो. रफ़ी
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Cover singers -Safeer and Alpana
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Lyrics-
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तुम्हारी नज़र क्यूँ खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
१.सज़ा ही सही अज कुछ तो मिला है,
सज़ा मे भी इक प्यार का सिलसिला है..
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तिदा हो गई
2.मुलाक़ात पे इतने मगरूर क्यों हो,
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो..
मनाने की आदत कहाँ पड़ गयी
सताने की तालीम क्या हो गई
3.सताते ना हम तो मानते ही कैसे,
तुम्हे अपने नज़दीक लाते ही कैसे..
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफा हो गई
खता बख्श दो ग़र खता हो गई
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गीतकार :साहिर लुधयानवी
संगीतकार :रवि
मूल गायक -लता मंगेशकर और मो. रफ़ी
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तुम्हारी नज़र क्यूँ खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
१.सज़ा ही सही अज कुछ तो मिला है,
सज़ा मे भी इक प्यार का सिलसिला है..
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तिदा हो गई
2.मुलाक़ात पे इतने मगरूर क्यों हो,
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो..
मनाने की आदत कहाँ पड़ गयी
सताने की तालीम क्या हो गई
3.सताते ना हम तो मानते ही कैसे,
तुम्हे अपने नज़दीक लाते ही कैसे..
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफा हो गई
खता बख्श दो ग़र खता हो गई
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