जया भादुड़ी -फिल्म -अन्नदाता |
गीतकार-योगेश
संगीतकार -सलील चौधरी ,मूल गायिका -लता मंगेशकर
रातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी,
फिर भी न डर अगर बुझे दिए
सहर तो है तेरे लिये....
१-जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे,
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे ,
कहता है दिल मुझको माना हैं ग़म तुझको,
फिर भी न डर अगर बुझे दिए ,
सहर तो है तेरे लिये...
२-जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मझधारों में
मायूस मन डोले पर यह गगन बोले
फिर भी न डर अगर बुझे दिए
सहर तो है तेरे लिये.....
३-जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं
तब मुस्कुराऊँ मैं यह गीत गाऊँ मैं
फिर भी न डर अगर बुझे दिए
सहर तो है तेरे लिये....
रातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जलें बाती न हो कोई साथी \- २
फिर भी न डर अगर बुझे दिए
सहर तो है तेरे लिये....
एक प्रेरक गीत .
यह गीत मुझे बेहद पसंद है.गीत के बोल बहुत ही खूबसूरत हैं और संगीतकार सलील दा ने इसकी धुन भी लाजवाब बनाई है.इसकी संगीत रचना कठिन है .
Cover version -Sung by Alpana -Download Mp3 Or Play here