कवि शैलेन्द्र की फिल्म'तीसरी कसम' को सिनेमा नहीं सेलुलोइड पर लिखी कविता कहा गया है।
यह एक ऐसी फिल्म है जिसका प्रभाव देर तक दिमाग पर रहता है।
इस फिल्म के सभी गाने बहुत अच्छे हैं।
राजकपूर यानी हीरामन का सादगी भरा चरित्र या हीराबाई की खामोश उदासियाँ।
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गीतकार-शैलेन्द्र
संगीत--शंकर - जयकिशन
गीत-
दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहे को दुनिया बनाई
१-काहे बनाए तूने माटी के पुतले,
धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले
काहे बनाया तूने दुनिया का खेला
जिसमें लगाया जवानी का मेला
गुप--चुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई
काहेको दुनिया बनाई, तूने काहेको दुनिया बनाई ...
२-तू भी तो तड़पा होगा मन को बनाकर,
तूफ़ां ये प्यार का मन में छुपाकर
कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी
आँसू भी छलके होंगे पलकों से तेरी
बोल क्या सूझी तुझको, काहेको प्रीत जगाई
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहेको दुनिया बनाई ...
३-प्रीत बनाके तूने जीना सिखाया,
हंसना सिखाया,रोना सिखाया
जीवन के पथ पर मीत मिलाए
मीत मिला के तूने सपने जगाए
सपने जगा के तूने, काहे को दे दी जुदाई
काहेको दुनिया बनाई, तूने काहेको दुनिया बनाई
इस गीत को फिल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान पर फिल्माया गया था।
इसके मूल गायक मुकेश जी हैं।
मुझे पसंद है इसलिए अपने स्वर में प्रस्तुत कर रही हूँ।
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