Aug 16, 2011

तुम मुझे भूल भी जाओ[duet]

तुम मुझे भूल भी जाओ
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तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको ,
मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है,

मेरे दिल की मेरे जज़बात की क़ीमत क्या है
उलझे-उलझे से ख़्यालात की क़ीमत क्या है
मैंने क्यूं प्यार किया तुमने न क्यूं प्यार किया
इन परेशान सवालात की क़ीमत क्या है
तुम जो ये भी न बताओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है

ज़िन्दगी सिर्फ़ मुहब्बत नहीं कुछ और भी है
ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार की जन्नत नहीं कुछ और भी है
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में
इश्क़ ही एक हक़ीकत नहीं कुछ और भी है
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको
मैंने तुमसे ही नहीं सबसे मुहब्बत की है

तुमको दुनिया के ग़म-ओ-दर्द से फ़ुरसत ना सही
सबसे उलफ़त सही मुझसे ही मुहब्बत ना सही
मैं तुम्हारी हूँ यही मेरे लिये क्या कम है
तुम मेरे होके रहो ये मेरी क़िस्मत ना सही
और भी दिल को जलाओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है

*यह गीत साहिर साहब का लिखा हुआ है और इसकी तर्ज़ सुधा मल्होत्रा जी ने बनायी थी.संगीत-एन.दत्ता का है.
शोभा खोटे और सुनील दत्त पर फिल्माया हुआ फिल्म दीदी[१९५९] से है.
मूल गायक मुकेश और सुधा मल्होत्रा हैं .
यहाँ प्रस्तुत गीत जो कि कवर संस्करण है ,श्री दिलीप कवठेकर जी और मेरा गाया हुआ है.
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5 comments:

S.M.HABIB said...

बहुत प्यारा बन पडा है यह दोगाना...
दिलीप कवठेकर जी की आवाज बहुत सूट कर रही है गाने को... आप दोनों को सादर बधाई एवं आभार...
सादर...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर गाया है दोनों ने. कवठेकर जी तो मंच पर भी गजब का गाते हैं. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

प्रवीण पाण्डेय said...

प्यारा गीत।

दिलीप कवठेकर said...

शुक्रिया .

Rakesh Kumar said...

आपका गाना सुनने को बार बार दिल करता है.
सहज गायन है आपका.दिलीप जी का गायन भी शानदार है.