फिल्म-घटना
ग़ज़लकार -नक्श लायलपुरी और संगीत -रवि
हज़ार बातें कहे ज़माना मेरी वफ़ा पे यक़ीन रखना -२
हर एक अदा में में है बेगुनाही मेरी अदा पे यक़ीन रखना
हज़ार बातें कहे ...
मेरी मोहब्बत की ज़िन्दगी को नज़र न लग जाए इस जहाँ की -२
यही सदा है धड़कते दिल की मेरी सदा पे यक़ीन रखना
हज़ार बातें कहे ...
किसी को हँसता न देख पाए अजीब शै है ये बैरी दुनिया -२
ये बेमुरव्वत है बेवफ़ा है न बेवफ़ा पे यक़ीन रखना
हज़ार बातें कहे ...
नज़र में रहना है ख़ुशनसीबी नज़र से गिरना है बेहयाई -२
हया है औरत का एक गहना मेरी हया पे यक़ीन रखना
हज़ार बातें कहे ...
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8 comments:
waah
वाह...क्या शायरी है और क्या सुर....
बहुत बहुत सुन्दर...
अर्चना जी
वाह !
बिना कराओके भी ये प्रस्तुति … क्या बात है जी !!
गीत का पूरा लुत्फ़ लिया … आभार !
किसी को हंसता न देख पाए अजीब शै है ये बैरी दुनिया
न देख पाए से याद आया आपको गाते हुए देखने की हमारी इच्छा कब पूरी होगी ?
आप किसी प्रोग्राम में हमें आमंत्रित कीजिए , आपको बुलाने जितनी तो हमारी सामर्थ्य नहीं :(
… और या फिर कभी अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग भी लगाएं ऑडियो के साथ साथ …
आशा है , मांग पूरी की जाएगी … :)
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@राजेंद्र जी..आप तो मेरा नाम ही भूल गए?
मैं किसी प्रोग्राम में नहीं गाती..ऐसे ही दिल किया तो गुनगुना दिया...ग़ज़लों की खूबसूरती ही यह है कि बिना संगीत भी अच्छी लगती हैं ...
इसे कहते हैं किसी फ़न का ज़ादू
अल्पना जी विश्वास हुआ न कि वाकई आपको सुनते हुए मैं सुध-बुध खो भी देता हूं …
हाऽऽह… हा !
… और अपनी भूल के लिए कान नहीं पकड़ पा रहा हूं … हाथ की बोर्ड पर व्यस्त हैं न !
बिना कराओके के गाना बडा दुरूह होता है, लेकिन यहां बिल्कुल सधा हुआ स्वर, आनंद आया, शुभकामनाएं.
रामराम.
अहा।
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