Nov 17, 2009

21-झूम झूम ढलती रात



फ़िल्म :कोहरा [1964]
गीतकार :कैफी आज़मी
मूल गायिका :लता मंगेशकर
संगीतकार :हेमंत कुमार


झूम झूम ढलती रात ,लेके चली मुझे अपने साथ,
झूम झूम ढलती रात ...

जाने कहाँ ले जाए दर्द भरा ये दिल,
जैसे सदा देती है खोयी हुई मंजिल,
जाने कहाँ ले जाए..
छोडो पिया मेरा छोडो हाथ,झूम झूम ढलती रात...

२-हाल ये है मस्ती का,साँस लगी थमने ,
उतने रहे प्यासे हम ,जितनी भी पी हमने,
उतने रहे प्यासे हम...
ग़म को बढ़ा गई ग़म की मात ,
झूम झूम ढलती रात ,लेके चली मुझे अपने साथ,
झूम झूम ढलती रात॥
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[यह पुरानी रिकॉर्डिंग[२००८]है]
काराओके पर मेरे स्वर में यह गीत-:

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8 comments:

महफूज़ अली said...

bahut achcha laga .....

download bhi kar liya hai....

Regards....

खुशदीप सहगल said...

अल्पना जी की दिलकश आवाज़ में दिलकश गीत...

झुमरी तलैया से अगली फरमाइश...
ये समा, समा है ये प्यार का,
किसी के इंतज़ार का...
दिल न चुरा ले कहीं,
मौसम बहार का....

जय हिंद...

Udan Tashtari said...

आजकल आपके गीत खूब सुनने मिल रहे हैं. अच्छा लग रहा है.

seema gupta said...

again a wonderfull presentation

regards

mehek said...

हाल ये है मस्ती का,साँस लगी थमने ,
उतने रहे प्यासे हम ,जितनी भी पी हमने,
उतने रहे प्यासे हम...
ग़म को बढ़ा गई ग़म की मात
waah ye sunder geeton ki mehfil yuhi sajti rahe.

अल्पना वर्मा said...

@Sameer ji,
Ye sabhi geet purani recording han..
jinhen ek-ek kar ke post karti jaa rahi hun,isliye aisa laga raha hai--

bas..5-geet aur post karne ke liye baki hain uske baad yah silsila kuch samay ke liye ruk jayega..:)

नीरज गोस्वामी said...

सुर गंगा में भिगोने के लिए धन्यवाद...ये गीत ही इतना मधुर है की क्या कहूँ...आपने गया भी खूब है...सुभान अल्लाह...
नीरज

दिलीप कवठेकर said...

इस नए ब्लोग के बारे में अभी अभी मालूम हुआ. ये तो बडी अच्छी परिकल्पना है, कि यहां हम उन मूल गीतों को किसी और स्वर में सुनते हैं. दाद इस्लैये देना ज़रूरी हैं , हम सभी एमेच्यर गायन के विद्यार्थी हैं, और ये हमारी पाठशाला. आप सब गुणी सुनकार हमारे परिक्षक हैं, और आपका दाद देना ही इम्तेहान में सच्चा रिज़ल्ट है.