फ़िल्म - खामोशी,
मूल गायिका - लता मंगेशकर,
संगीत - हेमंत कुमार,
गीत - गुलज़ार
हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है ....
१-प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है सुनती है कहा करती है
न ये बुझती है न रुकती है न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है सदियों से बहा करती है
सिर्फ़ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है ...
२-मुस्कुराहट सी खिली रहती है आँखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से झुके रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, काँपते होंठों पे मगर
कितने ख़ामोश से अफ़साने रुके रहते हैं
सिर्फ़ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
हमने देखी है....
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26 comments:
बहुत खूबसूरत गीत
बहुत प्यारा गीत है। आपने गाया भी अच्छा है।
सुन्दर गीत!!
बेहद खूबसूरत गीत. यह शायद आखिरी फ़िल्म थी ब्लेक एंड व्हाईट जो मैने देखी थी. उन दिनो रंगीन फ़िल्मो का दौर काफ़ी तेजी से शुरु हो चुका था. ब्लेक एंड व्हाईट सिर्फ़ बजट कम होने की वजह से ही बनती थी. सरस्वतीचंद्र के बाद सिर्फ़ खामोशी आई थी.
उस रंगीन फ़िल्नो के दौर में यह कितनी खूबसूरत और उतने ही सुंदर गीत संगीत से सजी यह फ़िल्म अक्सर याद आ ही जाती है जैसे कल की बात हो?
यह इतने सशक्त कथानक और गीत संगीत से परिपुर्ण फ़िल्म थी कि आपका यह गीत सुनते हुये मुझे लगता है मैंने कोलकाता के प्रिया सिनेमा में यह फ़िल्म अभी कल ही तो देखी थी.
बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
वाह एक और मेरा पसंदीदा गीत आभार ..
regards
अल्पना जी,
क्या ये संयोग है कि कल मैं खामोशी के इस गीत की इन पंक्तियों को याद करने की कोशिश कर
रहा था और आपने गीत सुना दिया....
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो...
ताऊ रामपुरिया,
मेरे ख्याल से खामोशी के बाद दो और ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में आई थीं...राजेंद्र सिंह बेदी की दस्तक और बासु भट्टाचार्य की अनुभव...ताऊ अब ज़रा साल के बारे में और चेक कर लेना...वैसे ये तीनों फिल्में आगे-पीछे ही आई होंगी...
जय हिंद...
Bhut Khub, perfect combination voice and music.
@ प्रिय खुशदीप सहगल
आपने शायद मेरा कमेंट ठीक से नही पढा. मैने यह नही कहा कि ब्लेक एंड व्हाईट में बनने वाली "खामोशी" आखिरी फ़िल्म थी. बल्कि मैने यह कहा है "खामोशी" कि मेरे द्वारा देखी गई आखिरी ब्लेक एंड व्हाईट फ़िल्म थी.:)
आपने सन पूछे हैं तो जहां तक मेरी जानकारी है वो इस प्रकार है.
१.खामोशी सन १९६९ निर्देशक - असित सेन
२.दस्तक सन १९७० निर्देशक - राजिंदर सिंह बेदी
३. अनुभव सन १९७१ निर्देशक - बासु भट्टाचार्य
वैसे मुझे जहां तक याद आता है कुछ प्रायोगिक फ़िल्मे इसके बाद भी ब्लेक एंड व्हाईट मे बनी होंगी. पक्का नही कह सकता.
बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
पुराने गीतों के सागर में यह एक और मोती बहुत ही अच्छा गाया आपने, आभार ।
ताऊ रामपुरिया जी,
ये तो मैणे चोखी भूल हो गई से...मैं भी यो कोई कहियो कि तैणे ये कहिया कि खामोशी के बाद कोई ब्लैक एंड व्हाईट फिल्म बणी ही न से...मैं तो बस यूहीं शाण बखारन वास्ते दस्तक और अनुभव का ज़िक्र कर दियो से...ताऊ ठहरा, ठहरा ताऊ...एक-एक फिल्म का रिलीज का साल भी गिणा दियो से...हाथ जोड़ूं कि भतीजे को माफ़ कर देइए ...
जय हिंद...
@ खुशदीप
ले भतिजे माफ़ कर दिया तैं बी के याद करैगा?:) आज कबी बी यानि दिन या रात म्ह म्हारे फ़ोन का इंतजार करणा.
रामराम.
दिलकश अन्दाज मे गाया आपने , मधुर लगा
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो...
muddton se aur aj bhi ye panktiya mere dil ke kareeb rahti hain ...ek sarvshresht geet .......
आपकी आवाज में इस गीत को सुनना एक अच्छा अनुभव रहा !
जय श्री कृष्णा.... अल्पना जी,....कहते हैं कि शब्द ब्रह्म है, है जिसकी विशेष ध्वनि होता है झंकृत जिससे सारा संसार--- हमने देखी हैं उन आँखों की महकती खुशबू... सुन रहे हैं तो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे आपने ये गाना आँखें झुकाकर, स्वर नीचे करके गाया है, जबकि मुझे उम्मीद थी आप ये गाना आसमान की ओर सर उठाकर, ऊंचे स्वर में गाएँगी... दबे दबे से स्वर में गाया है... जबकि शुरुआत भले स्वर नीचे हो लेकिन लिरिक्स ज्यों ज्यों आगे बढ़ें... स्वर ऊंचा और ऊंचा होता चला जाये.... ये मेरा ड्रीम सॉन्ग है.... कानों पर हैडफोन चढ़ाये.... हाई वॉल्यूम... बर्फीली वादियाँ स्थान जोशीमठ ... दोपहर का समय... सामने अलकनंदा नदी का तेज प्रवाह, शोर मचाता पानी... जीवन की सार्थकता है गीत की इसमें ... !! हरि ॐ तत्सत !!
सभी कुछ एक तरफ और ये एक अकेला गाना एक तरफ, एक कहानी और एक मीठी से याद समेटे है अपने आपमे, जोशीमठ की वो महकती हुई शाम, अलकनंदा नदी का रात के शांत माहौल में कल-कल स्वर ध्वनि, नहीं भूलने वाली यादें और जिंदगी के मायने हैं इसमे, जीवन जीने का नजरिया है, पूरी कायनात की सुंदरता समाई हुई है इसमे, जितनी बार भी हम सुनते हैं हर बार एक अलग ही ख्वाबों की दुनिया मे खुद को पाते हैं |
Agar Mujh Se Mohabbat Hai... In Aaankhon Ka Har Ek Aanshu Mujhe Meri Kasam De Do .... Please Alpna ji .. Is Geet Ka Link aur De Dijiye
Ramesh ji....is geet to abhi tak nahin cover kiya...jaise hi acchha track milega ,ise zarur cover karungi...shukriya is geet ka sujhaav dene ke liye.
Alpana
आजा रे प्यार पुकारे, नैना तो रो रो हारे, कोई ना जाने दर्द मेरा
लूटा दे के सहारा तेरे प्यार ने , बैरी हम को तो मारा तेरे प्यार ने
चंदा बिछड़ न जाये तेरी चाँदनी, आजा तुझको बुलाये तेरी चाँदनी
@Ramesh ji aap ki choice acchee hai.
Yeh geet main ne 3-4 saal pahle gaya tha lekin bina music ke...
http://merekuchhgeet.blogspot.ae/2011/06/blog-post_9.html
thnx..
@Alpna Verma ji, अच्छा लगा आपकी स्पष्ट और बिना म्यूजिक के आवाज सुनकर, aapki aawaaj mujhe behad pasand hai, hum chahte hain, meri pasand ka har geet aapki aawaaj mein ho, maine ek alag se play list banaai hai, jismen aapki aawaj waale sabhi geet top par hain, ham mobile par aksar hi aapki aawaaj mein geet sunte hain.
सहज विश्वास नहीं होता कि अगर को भावुकता भरा लिखता और गाता है तो रियल लाइफ में भी इमोशनल क्यूँ नहीं होता है.... फेसबुक पर मेरी भावनाएं कई बार आहत हुई लेकिन हमने उम्मीद ना छोड़ी कभी कोई इमोशनल इंसान मिलेगा कहीं जो भावुकता से परिपूर्ण होगा, यथार्थ की दुनियाँ में भी... वैसे भावुकतापूर्ण लिखते तो बहुत लोग हैं !!
इस गाने का लिंक दीजिये.... बेहद खूबसूरत भावनाओं से ओतप्रोत है ये गीत मेरी प्ले लिस्ट टॉप टेन में :
तुम्हें छू के पल में, बने धूल चन्दन
तुम्हारी महक से, महकने लगे तन
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हे जानती हूँ
यही बात पहले भी तुमसे कही थी
वही बात फिर आज, दोहरा रही हूँ
मुझे मेरी नींदें, मेरा चैन दे दो
मुझे मेरी सपनों की इक रैन, दे दो न
Ramesh ji,is geet ko nahin gaya abhi tak...koshish karungi jab bhi samay aur avsar milega ki ise bhi ga sakun.--abhaar----sadar---alpana
Alpna ji, mujhe sirf aapki aawaj mein ye song sunanaa pasand hai, jaroori nahi iske liye aap instruments, music system ka use karen, aap apni aawaaj mein gungunaa dijiye itna hi kaafi hoga... Thanks for Repling my comments
Please check here--http://merekuchhgeet.blogspot.ae/2014/12/blog-post_28.html
HAPPY NEW YEAR 2015 , NAYA SAAL KI AAPKO SHUBH-KAAMNAAYEN
शुभ प्रभात Good morning हैप्पी सन्डे सुहानी सर्द सुबह
आज रविवार का दिन है तो आइए दिन की शुरुआत इस सुन्दर गीत से करते हैं और अपनी दोस्ती बनी रहे ऐसी दुआ करते हैं। आनन्द बक्षी साहब के सिवा ऐसा ख़ूबसूरत गीत और कोई दूसरा कोई नहीं लिख सकता था, उन्हें ही पता था सरल शब्द किस तरह ख़ुश्बू देते हैं।
दौलत और जवानी, एक दिन खो जाती है, सच कहता हूँ, सारी दुनिया दुश्मन बन जाती है
उम्र भर दोस्त लेकिन, साथ चलते हैं
दिये जलते हैं, फूल खिलते हैं, बड़ी मुश्किल से मगर, दुनिया में दोस्त मिलते हैं
इस रँग-धूप पे देखो, हरगिज नाज़ ना करना, जान भी माँगे, यार को दे देना, नाराज़ ना करना
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