Mar 6, 2014

दो पल रुका यादों का कारवाँ...



ब्लॉग पर छाई एक लम्बी खामोशी को तोड़ते हुए एक पुराना गीत --

दो पल रुका यादों का कारवाँ

फिल्म--:वीर-ज़ारा
संगीत-मदन मोहन
गीत-जावेद अख़्तर

'दो पल रुका
ख़्वाबों का कारवाँ ,और फिर चल दिये तुम कहाँ हम कहाँ
दो पल
की की थी ये दिलों की दास्ताँ ,और फिर चल दिये तुम कहाँ हम कहाँ
''

१-तुम थे के थी कोई उजली किरण,तुम थे या कोई कली  मुस्काई थी
तुम थे या था सपनों का था सावन,तुम थे के खुशियों की घटा छायी थी
तुम थे के था कोई फूल खिला ,तुम थे या मिला था मुझे नया जहां
दो पल रुका ख़्वाबों का कारवाँ.....................

२-तुम थे के  खुशबू हवाओं में थी,तुम थे या रंग सारी दिशाओं में थे
तुम थे या रौशनी राहों में थी,तुम थे या गीत गूंजे फिजाओं में थे
तुम थे मिले या मिली थी मंजिलें ,तुम थे के था जादू भरा कोई समां
दो पल रुका, ख़्वाबों का कारवाँ
और फिर चल दिए, तुम कहाँ, हम कहाँ

यह दोगाना अपने पी सी पर सितंबर २००८ में रेकॉर्ड किया था जब मैं ट्रेक मिक्सिंग सीख ही रही थी.
कारोआक्े में शुरू में आलाप लता जी की आवाज़ में मूल ट्रेक से ही हैं]


[प्रस्तुत आवाज़ें-राजा पाहवा और  अल्पना ]
Download here or play


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8 comments:

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 08/03/2014 को "जादू है आवाज में":चर्चा मंच :चर्चा अंक :1545 पर.

Alpana Verma said...

आभार राजीव जी.

ताऊ रामपुरिया said...

ये मेरा सर्वाधिक पसंदीदा गीत है, बहुत आभार, शुभकामनाएं.

रामराम.

Alpana Verma said...

@शुक्रिया रमाकांत जी और ताऊ जी ,...इस फिल्म का और एक गीत है 'तेरे लिए हम हैं जिए ..' वह भी बेहद मधुर और दिल को छू लेने वाला है,मेरी सहेलियों की फरमाईश है ...उसे भी पूरा करने का प्रयास है.
सादर.

अभिषेक शुक्ल said...

बहुत सूंदर प्रस्तुति मैम!

Himkar Shyam said...

बहुत खूब...हमेशा की तरह...एक लंबे अंतराल के बाद कोई नयी पोस्ट सुनने को मिली...मदन मोहन के संगीत में अलग ही जादू है...'तेरे लिए हम हैं जिए' भी बेहद मधुर गीत है...फरमाइशों की फेहरिस्त में 'अनपढ़' का गीत 'आपकी नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे ' भी जोड़ लें...
इस बीच इधर कई बार आना हुआ. तीन-चार दिन पहले भी आया था. 'ममता' के दो गीत सुन कर गया. 'रहे न रहे हम' के लिए आभार.. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ …

Alpana Verma said...

@धन्यवाद अभिषेक.
@हिमकर जी धन्यवाद इन सुन्दर पंक्तियों हेतु.
आप की फरमाईश का गीत बहुत समय पहले ही रिकॉर्ड हो चुका है..कृपया यहाँ सुनियेगा-
http://merekuchhgeet.blogspot.ae/2009/11/26.html
मदन मोहन जी के सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक यह गीत एक चुनौती की तरह था और इसे मैं ने मूल स्केल पर ही गाने का प्रयास किया था .
आभार.

संजय भास्‍कर said...

पसंदीदा गीत है