गीत-परबत के इस पार...
गीतकार-आनंद बक्षी
संगीतकार-लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल
मूल गायक-लता और रफ़ी
प्रस्तुत है इस गीत का कवर संस्करण
गीत के बोल-
पर्वत के इस पार पर्वत के उस पार
गूँज उठी छम-छम छम-छम
गूँज उठी छम-छम छम मेरी पायल की झंकार
आ
१.मुख पे पड़ी थी कब से चुप की इक ज़ंजीर
मंदिर में चुप-चाप खड़ी थी मैं बनके तस्वीर
आ चल गा मैं साथ हूँ तेरे
छेड़ दिए हैं सरस्वती देवी ने तार-सितार
पर्वत के इस पार …
2.ग़म इक चिट्ठी जिसमें ख़ुशियों का सन्देश
गीत तभी मन से उठता है जब लगती है ठेस
आ चल गा मैं साथ हूँ तेरे
लय न टूटे ताल न टूटे छूटे ये संसार
पर्वत के इस पार …
3.फूल बने हैं घुँघरू घुँघरू बन गए फूल
टूट के पाँव में सब कलियाँ बिछ गईं बनकर धूल
ता थैया ता ता थैया
देखो झूम के नाच उठी है
मेरे अंग अंग मस्त बहार
पर्वत के इस पार …
प्रस्तुत गीत में स्वर -सफीर अहमद और अल्पना वर्मा
Cover by Safeer & Alpana
Download Mp3 here
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गीतकार-आनंद बक्षी
संगीतकार-लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल
मूल गायक-लता और रफ़ी
प्रस्तुत है इस गीत का कवर संस्करण
गीत के बोल-
पर्वत के इस पार पर्वत के उस पार
गूँज उठी छम-छम छम-छम
गूँज उठी छम-छम छम मेरी पायल की झंकार
आ
१.मुख पे पड़ी थी कब से चुप की इक ज़ंजीर
मंदिर में चुप-चाप खड़ी थी मैं बनके तस्वीर
आ चल गा मैं साथ हूँ तेरे
छेड़ दिए हैं सरस्वती देवी ने तार-सितार
पर्वत के इस पार …
2.ग़म इक चिट्ठी जिसमें ख़ुशियों का सन्देश
गीत तभी मन से उठता है जब लगती है ठेस
आ चल गा मैं साथ हूँ तेरे
लय न टूटे ताल न टूटे छूटे ये संसार
पर्वत के इस पार …
3.फूल बने हैं घुँघरू घुँघरू बन गए फूल
टूट के पाँव में सब कलियाँ बिछ गईं बनकर धूल
ता थैया ता ता थैया
देखो झूम के नाच उठी है
मेरे अंग अंग मस्त बहार
पर्वत के इस पार …
प्रस्तुत गीत में स्वर -सफीर अहमद और अल्पना वर्मा
Cover by Safeer & Alpana
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