लिबास (1988)
संगीत-आर. डी. बर्मन
गीतकार- गुलज़ार
स्वर ----अल्पना
सीली हवा छू गयी, सीला बदन छिल गया
नीली नदी के परे, गीला सा चाँद खिल गया
तुमसे मिली जो ज़िन्दगी, हमने अभी बोयी नहीं
तेरे सिवा कोई ना था, तेरे सिवा कोई नहीं
सीली हवा...
जाने कहाँ कैसे शहर, लेके चला ये दिल मुझे
तेरे बगैर दिन ना जला, तेरे बगैर शब न बुझे
सीली हवा...
जितने भी तय करते गए, बढ़ते गए ये फासले
मीलों से दिन छोड़ आये, सालों से रात लेके चले
सीली हवा...
==========================
5 comments:
बेहद खूबसूरत और सधी हुई आवाज. संगीत के बिना सुनना अच्छा लगा. गाने के बोल लाजवाब हैं, आपने इसमें जान डाल दी है. ऑनलाइन सुनने के बाद इसे डाउनलोड भी किया.
गुलजार साहिब का कोई सानी नहीं. अपने गीतों में वह लफ़्ज़ों का ऐसा तिलिस्म बुनते हैं जिसमें हर कोई डूब जाना चाहता है.
गीत पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया हिनकर जी.
गुलज़ार का वाकई कोई सानी नहीं है...उनकी नज्मों /गीतों के लफ़्ज़ों के तिलिस्म से कौन बाख सकता है?जो भी सुनता है खुद को भूल जाता है!
गुलजार की सुन्दर रचना , आर दी बर्मन का दिलकश संगीत दोनों ही लाजवाब रहे
Great lyrics beautifully rendered.
अल्पना जी, आपने इस गीत को बहुत ही बेहतरीन गाया है......
Post a Comment