May 25, 2014

सीली हवा...



लिबास (1988)
संगीत-आर. डी. बर्मन
गीतकार- गुलज़ार

स्वर ----अल्पना 

सीली  हवा छू गयी, सीला  बदन छिल गया
नीली  नदी के परे, गीला सा चाँद खिल गया

तुमसे मिली जो ज़िन्दगी, हमने अभी बोयी नहीं
तेरे सिवा कोई ना था, तेरे सिवा कोई नहीं
सीली हवा...

जाने कहाँ कैसे शहर, लेके चला ये दिल मुझे
तेरे बगैर दिन ना जला, तेरे बगैर शब न बुझे
सीली हवा...

जितने भी तय करते गए, बढ़ते गए ये फासले
मीलों से दिन छोड़ आये, सालों से रात लेके चले
सीली हवा...
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5 comments:

Himkar Shyam said...

बेहद खूबसूरत और सधी हुई आवाज. संगीत के बिना सुनना अच्छा लगा. गाने के बोल लाजवाब हैं, आपने इसमें जान डाल दी है. ऑनलाइन सुनने के बाद इसे डाउनलोड भी किया.
गुलजार साहिब का कोई सानी नहीं. अपने गीतों में वह लफ़्ज़ों का ऐसा तिलिस्म बुनते हैं जिसमें हर कोई डूब जाना चाहता है.

Alpana Verma said...

गीत पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया हिनकर जी.
गुलज़ार का वाकई कोई सानी नहीं है...उनकी नज्मों /गीतों के लफ़्ज़ों के तिलिस्म से कौन बाख सकता है?जो भी सुनता है खुद को भूल जाता है!

dr.mahendrag said...

गुलजार की सुन्दर रचना , आर दी बर्मन का दिलकश संगीत दोनों ही लाजवाब रहे

P.N. Subramanian said...

Great lyrics beautifully rendered.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

अल्पना जी, आपने इस गीत को बहुत ही बेहतरीन गाया है......