Jan 1, 2014

अखियों के झरोखों से...


फिल्म-अखियों के झरोखों से
संगीत और गीत-रविन्द्र जैन
मूल गायिका -हेमलता

गीत के बोल-
अखियों के झरोखों से, मैने देखा जो सांव रे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बंद करके झारोंखो को, ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्ही मुस्काए, बस तुम्ही मुस्काए
अखियों के झरोखों से…

1-इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूँही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए

2-जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
दिन रात दुआ माँगे मेरा मन तेरे वास्ते
कहीं अपनी उम्मीदों का कोई फूल न मुरझाए
अखियों के झरोखों से…

3-मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रंगी हूँ
जगते हुए सोई रही नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने कहीं कोई न छीन ले
मन सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
अखियों के झरोखों से…
 In audio version these 2stanzas are not included-:
4-कुछ बोल के खामोशियाँ तड़पाने लगी हैं
चुप रहने से मजबूरियाँ याद आने लगी हैं
तू भी मेरी तरह हँस ले, आँसू पलकों पे थाम ले,
जितनी है ख़ुशी यह भी अश्कों में ना बह जाए
अखियों के झरोखों से…

5-कलियाँ ये सदा प्यार की मुसकाती रहेंगी
खामोशियाँ तुझसे मेरे अफ़साने कहेंगी
जी लूँगी नया जीवन तेरी यादों में बैठके
खुशबु जैसे फूलों में उड़ने से भी रह जाए
अखियों के झरोखों से…

यह गीत प्रकाश गोविन्द जी के सुझाव पर गाया है और इसे गाना मेरे लिए आसान बिलकुल  नहीं था.फिर भी
एक प्रयास किया है.इसे हेमलता जी का सिग्नेचर गीत कहें तो गलत नहीं होगा.
प्रस्तुति-कवर संस्करण -स्वर-अल्पना



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Wish you all a very happy new year 2014!

1 comment:

Himkar Shyam said...

बहुत सुन्दर अल्पना जी. बहुत दिनों के बाद गुनगुनाती धूप में आना हुआ. साल की शुरुआत रविन्द्र जैन जी के इस सुरीले गीत से हुई. आनंद आ गया इस गीत को आपकी आवाज़ में सुनकर. सच में यह हेमलता के कैरियर का सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में से एक है. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ,

हिमकर श्याम
http://himkarshyam.blogspot.in/