फिल्म : चिराग
संगीतकार : मदन मोहन
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
मूल गायिका :लता
cover version-Alpana
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा ...
1-ये हों कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये उठें सुबह चले ...
2-ठोकर जहाँ मैने खाई इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है इनका सहारा मुझे
ये उठें सुबह चले ...
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
मेरी आवाज़ में सुनिये ये गीत-:
Recorded in July 2008
8 comments:
बहुत ही खूबसूरती से गाया आपने..
इस गीत की ये लाइन "ठोकर जहाँ मैने खाई इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है इनका सहारा मुझे" मुझे बहुत प्यारी लगती है.
Behad achha laga is geet ko sunnaa!!
Mashallah! Kya aawaaz payee hai aapne!
आप की आवाज़ में जादू है .
सादर
बहुत अच्छा लगता है यह गीत।
pyara sa geet aur sangeet..:)
बहोत ही अच्छा गाया है आपने
बहुत मधुर है आपकी आवाज़ ! अपना बहुत ही पसंदीदा गीत आपकी दिलकश आवाज़ में सुनना बहुत खुशी दे गया ! आपका आभार एवं धन्यवाद !
गाना बस एक शौक है और साज़ के साथ आवाज़ मिलाने की ख्वाहिश को पूरा करने की राह में कुछ क़दम...........
बहुत ही खूबसूरती से गाया आपने......
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