गीतकार-मजरूह सुल्तानपुरी
मूल गायक-किशोर कुमार
कवर गायिका-अल्पना वर्मा
गीत के बोल -
एक लड़की भीगी भागी सी,
सोती रातों में जागी सी
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
सोती रातों में जागी सी
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
दिल ही दिल में जली जाती है,
बिगड़ी बिगड़ी चली आती है
बिगड़ी बिगड़ी चली आती है
झुंझलाती हुई,बलखाती हुई,
सावन की सूनी रात में
सावन की सूनी रात में
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
एक लड़की भीगी भागी सी
डगमग डगमग लहकी लहकी,
भूली भटकी,बहकी बहकी
भूली भटकी,बहकी बहकी
मचली मचली,घर से निकली,
पगली सी काली रात में
पगली सी काली रात में
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
एक लड़की भीगी भागी सी
तन भीगा है,सर गीला है,
उसका कोई पेंच भी ढीला है
तनती झुकती,
चलती रुकती,
निकली अंधेरी रात में
उसका कोई पेंच भी ढीला है
तनती झुकती,
चलती रुकती,
निकली अंधेरी रात में
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
एक लड़की भीगी भागी सी,
सोती रातों में जागी सी
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
सोती रातों में जागी सी
मिली एक अजनबी से,
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
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