फिल्म-शंकर हुसैन [१९७७]
गीतकार-कैफ भोपाली
संगीतकार-खय्याम
मूल गायिका-लता जी
प्रस्तुत गीत में स्वर-अल्पना वर्मा
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गीत के बोल-
अपने आप रातों में
चिलमनें सरकती हैं
चौंकते हैं दरवाज़े
सिड़ीयां धड़कती हैं
अपने आप
अपने आप
एक अजनबी आहt
आ रही हई कम कम सी
जैसे दिल के पर्दों पर
गिर रही हो शबनम सी
बिन किसी की याद आए
दिल के टार हिलते हैं
बिन किसी के खनकाए
चूड़ियाँ खनकती हैं
अपने आप
अपने आप
2.कोई पहले दिन जैसे
घर किसी के जाता हो
जैसे खुद मुसाफिर को
रास्ता बुलाता हो
पाँव जाने किस जानिब
बे-उठाए उठते हैं
और छम छमा छम छम
पायलें छनकती हैं
अपने आप
अपने आप रातों में
3.जाने कौन बालों में
उँगलियाँ पिरोता है
खेलता हई पानी से
तन बदन भिगोता है
जाने किसके हाथों से
गागरें छलकती हैं
जाने किसकी बातों से
बिजलियाँ लपकती हैं
अपने आप...........
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Singer-Alpana Verma
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गीतकार-कैफ भोपाली
संगीतकार-खय्याम
मूल गायिका-लता जी
प्रस्तुत गीत में स्वर-अल्पना वर्मा
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गीत के बोल-
अपने आप रातों में
चिलमनें सरकती हैं
चौंकते हैं दरवाज़े
सिड़ीयां धड़कती हैं
अपने आप
अपने आप
एक अजनबी आहt
आ रही हई कम कम सी
जैसे दिल के पर्दों पर
गिर रही हो शबनम सी
बिन किसी की याद आए
दिल के टार हिलते हैं
बिन किसी के खनकाए
चूड़ियाँ खनकती हैं
अपने आप
अपने आप
2.कोई पहले दिन जैसे
घर किसी के जाता हो
जैसे खुद मुसाफिर को
रास्ता बुलाता हो
पाँव जाने किस जानिब
बे-उठाए उठते हैं
और छम छमा छम छम
पायलें छनकती हैं
अपने आप
अपने आप रातों में
3.जाने कौन बालों में
उँगलियाँ पिरोता है
खेलता हई पानी से
तन बदन भिगोता है
जाने किसके हाथों से
गागरें छलकती हैं
जाने किसकी बातों से
बिजलियाँ लपकती हैं
अपने आप...........
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Singer-Alpana Verma
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