हिन्द देश के निवासी
गीतकार- पंडित विनयचन्द्र मौद्गल्य
संगीतकार-बसंत देसाई
गीत-
हिंद देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं
१.बेला गुलाब जूही चंपा चमेली
प्यारे प्यारे फूल गुंथे
माला में एक हैं
2. कोयल की कूक प्यारी पपीहे की टेर न्यारी
गा रही तराना बुलबुल
राग मगर एक है
3. गंगा - जमुना ब्रहमपुत्र कृष्णा कावेरी
जाके मिल गयी सागर में
हुई सब एक हैं
हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं .
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गीतकार- पंडित विनयचन्द्र मौद्गल्य
संगीतकार-बसंत देसाई
गीत-
हिंद देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं
१.बेला गुलाब जूही चंपा चमेली
प्यारे प्यारे फूल गुंथे
माला में एक हैं
2. कोयल की कूक प्यारी पपीहे की टेर न्यारी
गा रही तराना बुलबुल
राग मगर एक है
3. गंगा - जमुना ब्रहमपुत्र कृष्णा कावेरी
जाके मिल गयी सागर में
हुई सब एक हैं
हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं .
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7 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 - 01 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा -2235 में दिया जाएगा
धन्यवाद
बहुत प्यारा गीत है बहुत पसंद है मुझ भी
bahut -bahut dhnywaad charchamanch par ise share karne ke liye Dilbaag ji.
Saabhar.
shukriya Kavita ji.
Beautiful banasthali ki yaad aa gayi
मुझे भी बहुत पसंद है यह गीत।
यह गाना मुझे बहुत पसंद आया और इस गाने को सुनकर हमारे रोम-रोम खड़े हो जाते हैं और इतने प्रेरणा और इतना प्रेम मेरे देश के लिए हिंद देश के निवासी हम सब एक हैं
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