रस्मे उलफत को निभाएँ तो निभाएँ कैसे..
.Film-Dil ki raahen[1973]
एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...
मजरूह सुलतानपुरी साहब की लिखी और मदन मोहन जी का संगीत,लता जी की कशिश भरी आवाज़...जितनी बार भी सुनो ...हर बार नई सी लगती है...
इस यादगार ग़ज़ल को अपने स्वर में प्रस्तुत कर रही हूँ,आशा है पसंद आएगी।[a request song..]
.Film-Dil ki raahen[1973]
एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...
मजरूह सुलतानपुरी साहब की लिखी और मदन मोहन जी का संगीत,लता जी की कशिश भरी आवाज़...जितनी बार भी सुनो ...हर बार नई सी लगती है...
इस यादगार ग़ज़ल को अपने स्वर में प्रस्तुत कर रही हूँ,आशा है पसंद आएगी।[a request song..]
No comments:
Post a Comment