Apr 15, 2010
४७-आज कल पाँव ज़मीं पर
Film: Ghar
संगीतकार -राहुलदेव बर्मन
गीतकार : गुलजार
(आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए)
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
लोग कहते हैं के बस हाथ की रेखा है
हमने देखा है दो तक़दीरों को जुड़ते हुए
आज कल पाँव...
नींद सी रहती है, हलका सा नशा रहता है
रात\-दिन आँखों में इक चहरा बसा रहता है
पर लगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए
आज कल पाँव...
जाने क्या होता है हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमें उड़ते हुए
आज कल पाँव...
Cover version[Sung by Alpana]
[Recorded in oct,2009.]
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Labels:
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10 comments:
dhanyawaad hai ji,is badhiyaa geet ka aanand dilwane ke liye...
kunwar ji,
बहुत अच्छा गीत सुनवाने के लिए असंख्य धन्यवाद।
सुन्दर गीत.
वाह, बहुत ही उम्दा गीत, मधुर गायिकी. शुभकामनाएं.
रामराम.
Excellent!
100 bonus points.
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Kamath,
TN
lata ji ki awaz aur gulzar ke bol wah
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
@ Dilip ji,
yeh geet original nahin hai.original geet lata ji ne gaya hai..is Geet ko main ne 'sing along track ' par swar diya hai...:)is blog par koi bhi geet original nahin hai..sabhi cover version song hain..abhaar.
सुमधुर गीत
alpana ji is madhur geet aur madhur swar ka aanand har baar ki tarah nahi le pai ,kyonki sunate waqt beech se aawaz kat rahi thi aur shabd bhi gayab ho rahe the .
A real excellent rendering indeed!!
Apaki harakaten lajawab hai.
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