गीत -आप आये तो ख्याले...
फिल्म : गुमराह (१९६३)
गीतकार : साहिर लुधियानवी,
संगीत -रवि
मूल गायक : महेंद्र कपूर
कवर गीत प्रस्तुति : अल्पना वर्मा
गीत के बोल
आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया
आपके लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख नज़रों से मोहब्बत का सलाम आया था
उम्रभर साथ निभाने का पयाम आया था
आपको देख के वो एहद-ए-वफ़ा याद आया
रूह में जल उठे बुझती हुयी यादों के दिये
कैसे दीवाने थे आपको पाने के लिये
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किये
पर जो मांगे से न पाया वो सिला याद आया
आज वो बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में ये हल्की से मुलाकात तो है
गैर का हो के भी ये हुस्न मेरे साथ तो है
हाय किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया
आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया
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दिल को छू लेने वाली इस यादगार ग़ज़ल को यहाँ पेश करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है ,
आशा है आपको भी पसंद आएगी. Mp3 file Preview or Play
फिल्म : गुमराह (१९६३)
गीतकार : साहिर लुधियानवी,
संगीत -रवि
मूल गायक : महेंद्र कपूर
कवर गीत प्रस्तुति : अल्पना वर्मा
गीत के बोल
आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया
आपके लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख नज़रों से मोहब्बत का सलाम आया था
उम्रभर साथ निभाने का पयाम आया था
आपको देख के वो एहद-ए-वफ़ा याद आया
रूह में जल उठे बुझती हुयी यादों के दिये
कैसे दीवाने थे आपको पाने के लिये
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किये
पर जो मांगे से न पाया वो सिला याद आया
आज वो बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में ये हल्की से मुलाकात तो है
गैर का हो के भी ये हुस्न मेरे साथ तो है
हाय किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया
आप आये तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुये जख्मों का पता याद आया
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दिल को छू लेने वाली इस यादगार ग़ज़ल को यहाँ पेश करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है ,
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