May 11, 2013

रस्मे उलफत को निभाएँ...

रस्मे उलफत को निभाएँ तो निभाएँ कैसे..
.Film-Dil ki raahen[1973]
एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...
मजरूह सुलतानपुरी साहब की लिखी और मदन मोहन जी का संगीत,लता जी की कशिश भरी आवाज़...जितनी बार भी सुनो ...हर बार नई सी लगती है...
इस यादगार ग़ज़ल को अपने स्वर में प्रस्तुत कर रही हूँ,आशा है पसंद आएगी।[a request song..]

May 1, 2013

ओ हंसिनी ....स्वर - अल्पना



फिल्म-ज़हरीला इंसान
गीतकार -
संगीत- राहुलदेव बर्मन
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहा उड़ चली,
मेरे अरमानो के पंख लगा के कहा उड़ चली..

1-आ जा मेरी सांसो मे महक रहा रे तेरा गजरा,
 आ जा मेरी रातो मे लहेक रहा रे तेरा कजरा..
ओ हंसिनी ....

2-देर से लहरो मे कमल संभाले हुए मन का,
जीवन ताल मे भटक रहा रे तेरा हंसा..
ओ हंसिनी .............

किशोर कुमार का गाया हुआ यह गीत मेरे स्वर में सुनिए-



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