गीतकार-राजेंद्र किशन
संगीतकार-मदन मोहन
मूल गायिका-लता मंगेशकर
फिल्म -जहाँआरा
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
१ -कहो बुझें के जलें
हम अपनी राह चलें या तुम्हारी राह चलें
कहो बुझें के जलें
बुझें तो ऐसे के जैसे किसी ग़रीब का दिल
किसी ग़रीब का दिल
जलें तो ऐसे के जैसे चिराग़ जलते हैं
२ -ये खोई खोई नज़र
कभी तो होगी इधर या सदा रहेगी उधर
ये खोई खोई नज़र
उधर तो एक सुलग़ता हुआ है वीराना
मगर इधर तो बहारों में बाग़ जलते हैं
३ -जो अश्क़ पी भी लिए
जो होंठ सी भी लिए, तो सितम ये किस पे किए
जो अश्क़ पी भी लिए
कुछ आज अपनी सुनाओ कुछ आज मेरी सुनो
ख़ामोशियों से तो दिल और दिमाग़ जलते हैं
बिना संगीत ..यूँ ही गुनगुनाते हुए..मेरी आवाज़ में पहले दो अंतरे प्रस्तुत हैं -
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