फिल्म : चिराग
संगीतकार : मदन मोहन
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
मूल गायिका :लता
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा ...
1-ये हों कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये उठें सुबह चले ...
2-ठोकर जहाँ मैने खाई इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है इनका सहारा मुझे
ये उठें सुबह चले ...
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
मेरी आवाज़ में सुनिये ये गीत-:
Recorded in July 2008
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Yeh Arvind Sharman ji kii pasand ka geet hai ,jinhone apne recording studio mei ise final kiya hai.Thanks Arvind ji.
3 comments:
सदाबहार गीतों से सजे आपके नए ब्लॉग पर आकर बहुत ख़ुशी मिली.
मैं आपकी कवितायेँ पढता हूँ, संस्मरण पढता हूँ, आपके गीत सुन रहा हूँ. मुझे आपके सन्देश मेरे ब्लॉग पर भी मिलते रहते हैं.
कैसे कहूँ की आप पराये देश में रहती हैं. आपने वायरलेस युग में प्रेम के ऐसे तार जोड़े हैं की हम आपको अपने आस पास ही पाते हैं. आपकी रचनात्मकता को सलाम है.
Dear friend listening to you for first time and u r too impressive ,good control and vocal quality superb.
kuch geet sune pasand aaye..
paraye desh me rahkar aisa pras hindi bhasha ke liye vardaan hai...
aabhar
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