हिन्द देश के निवासी
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गीतकार- पंडित विनयचन्द्र मौद्गल्य
संगीतकार-बसंत देसाई
गीत-
हिंद देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं
१.बेला गुलाब जूही चंपा चमेली
प्यारे प्यारे फूल गुंथे
माला में एक हैं
2. कोयल की कूक प्यारी पपीहे की टेर न्यारी
गा रही तराना बुलबुल
राग मगर एक है
3. गंगा - जमुना ब्रहमपुत्र कृष्णा कावेरी
जाके मिल गयी सागर में
हुई सब एक हैं
हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं .
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गीतकार- पंडित विनयचन्द्र मौद्गल्य
संगीतकार-बसंत देसाई
गीत-
हिंद देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं
१.बेला गुलाब जूही चंपा चमेली
प्यारे प्यारे फूल गुंथे
माला में एक हैं
2. कोयल की कूक प्यारी पपीहे की टेर न्यारी
गा रही तराना बुलबुल
राग मगर एक है
3. गंगा - जमुना ब्रहमपुत्र कृष्णा कावेरी
जाके मिल गयी सागर में
हुई सब एक हैं
हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं .
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